भारत का परमाणु मिशन: 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य

दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ‘परमाणु मिशन’ की शुरुआत की है। इस मिशन के तहत 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जो देश की कुल ऊर्जा जरूरत का 10% होगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में इस मिशन की घोषणा की और इसे भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम बताया।
निजी कंपनियों को मिली परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भागीदारी
भारत सरकार ने पहली बार परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोला है, जो अब तक पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस फैसले से तकनीकी नवाचार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा, जिससे परमाणु ऊर्जा उत्पादन में तेजी आएगी। इससे देश में ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मजबूती मिलेगी और भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बड़े स्तर पर किया जा सकेगा।
छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) बनाएंगे भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भर
परमाणु मिशन में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) की अहम भूमिका होगी। ये रिएक्टर 16 मेगावाट से 300 मेगावाट की क्षमता के होंगे, जो दूर-दराज के क्षेत्रों और औद्योगिक हब्स को बिजली उपलब्ध कराएंगे। SMR तकनीक बड़े परमाणु संयंत्रों की तुलना में कम जगह और कम लागत में तैयार होगी, जिससे इसे अपनाना आसान होगा। सरकार ने इस मिशन के तहत कम से कम 5 SMR के निर्माण की योजना बनाई है, जिससे भविष्य में देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
परमाणु ऊर्जा के लिए बढ़ा बजट, स्वदेशी शोध को प्राथमिकता
2014 के बाद से भारत में परमाणु ऊर्जा विभाग के बजट में 170% की वृद्धि की गई है। 2024-25 के बजट में “भारत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर” (Bharat SMR) के स्वदेशी विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसके तहत स्वदेशी शोध को प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन भारत फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों के साथ भी मिलकर परमाणु तकनीक को उन्नत कर रहा है। इस क्षेत्र में अनुसंधान को गति देने के लिए “नेशनल रिसर्च फाउंडेशन” (NRF) की स्थापना की गई है, जिसमें 60-70% फंडिंग गैर-सरकारी स्रोतों से होगी।
पर्यावरण संरक्षण और नेट-जीरो लक्ष्य में सहायक होगा यह मिशन
भारत ने 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। परमाणु ऊर्जा इस लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मंत्री ने बताया कि भारत के विशाल थोरियम भंडार का उपयोग इस मिशन में किया जाएगा, जिससे देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी होंगी और वैश्विक स्तर पर परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भारत का नेतृत्व मजबूत होगा। कुडनकुलम परमाणु संयंत्र और भविनी रिएक्टर जैसी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है, जिससे आने वाले वर्षों में भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।